INDICATORS ON HANUMAN CHALISA YOU SHOULD KNOW

Indicators on hanuman chalisa You Should Know

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भावार्थ – अपने तेज [शक्ति, पराक्रम, प्रभाव, पौरुष और बल] – के वेग को स्वयं आप ही सँभाल सकते हैं। आपके एक हुंकारमात्र से तीनों लोक काँप उठते हैं।

– a retelling of your Ramayana from the Devanagari vernacular is considered as one of his finest operate. Quite a few claim that Tulsidas was a reincarnation of Valmiki who was the first composer the epic Ramayana in Sanskrit.

व्याख्या – मनरूपी दर्पण में शब्द–स्पर्श–रूप–रस–गन्धरूपी विषयों की पाँच पतवाली जो काई (मैल) चढ़ी हुई है वह साधारण रज से साफ होने वाली नहीं है। अतः इसे स्वच्छ करने के लिये ‘श्रीगुरु चरन सरोज रज’ की आवश्यकता पड़ती है। साक्षात् भगवान् शंकर ही यहाँ गुरु–स्वरूप में वर्णित हैं–‘गुरुं शङ्कररूपिणम् ।‘ भगवान् शंकर की कृपा से ही रघुवर के सुयश का वर्णन करना सम्भव है।

राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना ।

In the hands, shine a mace plus a flag of righteousness. A sacred thread adorns Your appropriate shoulder.

व्याख्या — श्री हनुमन्तलाल जी समग्र विद्याओं में निष्णात हैं और समस्त गुणों को धारण करने से ‘सकल–गुण–निधान’ हैं। वे श्री राम के कार्य सम्पादन हेतु अत्यन्त आतुरता (तत्परता, व्याकुलता) का भाव रखने वाले हैं। क्योंकि ‘राम काज लगि तव अवतारा’ यही उद्घोषित करता है कि श्री हनुमान जी के जन्म का मूल हेतु मात्र भगवान् श्री राम के हित कार्यों का सम्पादन ही है।

व्याख्या – संसार में रहकर मोक्ष (जन्म–मरण के बन्धन से मुक्ति) प्राप्त करना ही दुर्गम कार्य है, जो आपकी कृपा से सुलभ है।

भावार्थ – आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र (उनकी पवित्र मंगलमयी कथा) सुनने के लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारस के आनन्द में निमग्न) रहते हैं। श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥ और देवता चित्त न धरई ।

The team needs to research the island, but none can swim or bounce so far (it was frequent for these kinds of supernatural powers to be frequent amongst figures in these epics). Nevertheless, Jambavan knows from prior situations that Hanuman made use of to have the ability to do this kind of feat effortlessly and lifts his curse.[fifty two]

"किसने लिखी थी हनुमान चालीसा, जिसके बारे में कही जाती हैं कई बातें".

व्याख्या – संसार में मनुष्य के लिये चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। भगवान के दरबार में बड़ी भीड़ न हो इसके लिये भक्तों के तीन पुरुषार्थ को हनुमान जी द्वार पर ही पूरा कर देते हैं। अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति के अधिकारी श्री more info हनुमन्तलाल जी की अनुमति से भगवान के सान्निध्य पाते हैं।

शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

[Hath=hand, Bajra=Mace as strong as vajrayudha or diamond; au=and; dhvaja=flag; biraji=happen; kaandhe=on shoulders; munji=of munja grass; janeoo=upavita thread, sacred thread; Sajai=adorn ]

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